गठिया रोग की पहचान | गठिया बाय का रामबाण इलाज

Arthritis in Hindi: गठिया जिसे आमतौर पर आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है, यह एक ऐसा रोग है जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन आ जाती है। यह आमतौर पर ज्यादातर उम्रदराज लोगों में देखा जाता है लेकिन कई बार युवा भी इससे पीड़ित हो सकते हैं। गठिया के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस, रेवेटीस आर्थराइटिस और प्सोरिएटिक आर्थराइटिस। इस रोग के कुछ मुख्य लक्षण हो सकते हैं जैसे कि जोड़ों में दर्द,  सूजन और जोड़ों की स्थिरता में बदलाव। गठिया का कारण बहुत साधारण होता है जैसे कि उच्च रक्तचाप, उम्रदर, पुराने जोड़ों की चोटें, मोटापे वाले और जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास है, खानपान की गलत आदतें। आज इस लेख में हम गठिया रोग की पहचान और गठिया बाय का रामबाण इलाज के बारें में बताएंगे। तो आइये जानते है,

गठिया रोग की पहचान

गठिया रोग की पहचान:- (गठिया के लक्षण)

गठिया रोग, जिसे मेडिकल भाषा में आर्थराइटिस के रूप में जाना जाता है, यह जोड़ों को प्रभावित करने वाली एक समस्या है। इसकी पहचान निम्न लक्षणों से की जा सकती है जैसे:

  • जोड़ों में दर्द: गठिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है जोड़ों में दर्द होना। यह दर्द आमतौर पर अधिक संवेदनशील जोड़ों में होता है और सामान्य रोजमर्रा का काम करने पर आपको दिक्क्त हो सकती है। यह दर्द बार-बार होता है और धीरे-धीरे बढ़ता है।
  • सुजन: गठिया के मरीजों में आमतौर पर जोड़ों में दर्द के साथ-साथ सुजन दिखाई देती है। यह सूजन जोड़ों के आसपास या उनमें होती है और उन्हें गाठों के रूप में दिखा सकती है। सूजन के कारण, जोड़ों का आकार बढ़ जाता है और गठिया के लक्षण बढ़ सकते हैं।
  • शारीरिक कमजोरी: गठिया के कारण शारीरिक कमजोरी का अनुभव हो सकता है, जिससे दिनचर्या के कार्यों को करने में कठिनाई हो सकती है।

यदि आपको इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण का अनुभव हो रहा है, तो आपको अपने डॉ के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए।

गठिया का इलाज संभव है:-

हां, गठिया का इलाज संभव है। गठिया रोग के इलाज के लिए विभिन्न तरीके मौजूद हैं। प्राथमिकता इलाज में दवाएं शामिल होती हैं जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। ये दवाएं नॉनस्टेरॉएडल एंटी-इनफ्लामेटरी दवाएं और पेन किलर्स हो सकती हैं। यदि दवाओं से लाभ नहीं मिलता है, तो फिजिओथेरेपी अभ्यास, योग और आसनों का उपयोग किया जा सकता है जो गठिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं। आहार और वजन नियंत्रण भी महत्वपूर्ण हैं जो रोग को  रोकने में सहायक हो सकते हैं। सही इलाज के लिए आपको अपने डॉ से मिलना होगा।

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गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय:-

  • व्यायाम: व्यायाम गठिया के इलाज में मददगार साबित हो सकते हैं। आप अर्थराइटिस विशेषज्ञ की मार्गदर्शन में आसनों और व्यायामों को कर सकते हैं जो जोड़ों को सुधारते हैं और मजबूती प्रदान करते हैं।
  • आहार: आहार में प्राकृतिक चीजों का सेवन करना गठिया के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। हरी सब्जियाँ, फल, अनाज और देसी गाय का दूध और दूध से बने उत्पाद आहार में शामिल करें।
  • योग: योग और धीरे-धीरे व्यायाम गठिया के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। नियमित रूप से व्यायाम करने से जोड़ों की संचालन क्षमता और लचीलापन बढ़ता है। सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, कटि-चक्रासन, पवनमुक्तासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन जैसे आसन करने से लाभ मिल सकता है।
  • वैद्यकीय उपचार: गंभीर गठिया के मामलों में वैद्यकीय उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इसमें दवाएं, इंजेक्शन, और सर्जरी शामिल हो सकती है। इसके लिए अपने वैद्य से परामर्श करें।

यदि आप गठिया के संबंध में समस्या महसूस कर रहे हैं, तो अपने डॉ की सलाह लें और उनके निर्देशों का पालन करें। उनके मार्गदर्शन में इलाज करने से आप जल्दी ठीक हो सकते है।

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लहसुन से गठिया का इलाज:-

लहसुन एक प्राकृतिक औषधि है जो गठिया के इलाज में मदद कर सकती है। लहसुन में एलिसिन, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीइंफ्लेमेटरी और प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं जो गठिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं और गठिया के जोड़ों की सूजन को कम कर सकते हैं। लहसुन का उपयोग गठिया के लिए करने के लिए, आप रोजाना सुबह खाली पेट एक कली लहसुन का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, आप लहसुन को भोजन में शामिल करके भी इसके लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए, आप लहसुन को मसालेदार और स्वादिष्ट सब्जियों या दालों में डाल सकते हैं। लहसुन का तेल मालिश के लिए उपयोग करें। गठिया के प्रभावित जोड़ों पर सुबह और शाम में लहसुन के तेल से मालिश करें। इससे जोड़ों का दर्द कम हो सकता है।

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गठिया रोग में क्या खाना चाहिए:-

बथुआ

भारत में बथुआ का इस्तेमाल ज्यादातर गाँव के लोग ही करते है। बथुआ गठिया के मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। बथुआ में विटामिन सी, बी6, बी9, विटामिन के साथ-साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फोलिक एसिड भी पाया जाता है, इसके अलावा, बथुआ आंशिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़ भी रखता है, जो गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। आप बथुआ को सलाद, सब्जी या रस्से वाले बथुआ के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसे अपने आहार में नियमित रूप से शामिल करें ताकि इसके गुणों का आपको फायदा हो सके।

अंगूर

गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है। अंगूर में प्रोएंथोसाइनिडिन नामक एक प्राकृतिक तत्व पाया जाता है जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ-साथ गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा अंगूर में विटामिन सी, बी कॉम्प्लेक्स, फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और शरीर के सूजन और दर्द को कम करते हैं। आप अंगूर को ताजे रूप में खाने के रूप में या उसके रस, शेक, या सालद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसे नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करने से आपको गठिया के लक्षणों में सुधार महसूस हो सकता है।

सेब

गठिया रोग में लगभग सभी डॉ सेब खाने की सलाह देते है, क्योंकि सेब में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी, फाइबर, और फ्लावोनॉयड्स पाए जाते हैं, जो गठिया रोग के लिए लाभकारी हो सकते हैं। सेब का सेवन सूजन को कम करने और आपके जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। सेब में मौजूद फाइबर भी पाचन किर्या को स्वस्थ रखने में मदद करता है। सेब को ताजे रूप में खाने का प्रयास करें। आप सेब को सीधे, रस, सलाद या सेब के प्यूरी के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसका रोजाना सेवन करने से आपको गठिया के लक्षणों में सुधार महसूस हो सकता है।

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लहसुन

गठिया रोग के मरीजों को लहसुन का इस्तेमाल करना चाहिए।क्योकि लहसुन में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़ गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा लहसुन में विटामिन सी, सेलेनियम, डायलाइल डाइसल्फाइड, एजोएन और एलिसिन जैसे पोषक तत्व होते हैं जो संबंधित जोड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। आप लहसुन को अपने आहार में शामिल कर सकते है। लहसुन को ताजा या पका हुआ खाने के रूप में उपयोग किया जा सकता हैं। आप इसे सब्जियों और दाल में प्रयोग कर सकते हैं।

ब्रोकली

ब्रोकोली गठिया रोग के मरीजों के लिए एक उत्तम आहार हो सकती है। इसमें मौजूद विटामिन सी, बी6, विटामिन के और फोलेट के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह शरीर के रेडिकल्स को नष्ट करके सूजन को कम करने में मदद करता है। ब्रोकली में स्ल्फोराफेन नामक एक प्राकृतिक तत्व पाया जाता है जो गठिया के कारण होने वाली सूजन और दर्द को कम करके  राहत पहुंचाता है। इसके अलावा, ब्रोकोली में पाए जाने वाले अन्य पोषक तत्व भी आपकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। आप ब्रोकोली को स्टीम, बॉयल, रोस्ट, या सूप के रूप में खा सकते हैं। इसे साथी फलियों, सब्जियों, या अन्य संतुलित आहार के साथ मिश्रित करने से इसके लाभ बढ़ सकते हैं। यदि आपको गठिया रोग है और आप ब्रोकोली को अपने आहार में जरूर शामिल करें।

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बेरीज

गठिया रोग में बेरीज खाना लाभकारी हो सकता है। बेरीज गठिया के मरीजों के लिए उपयोगी होते हैं क्योंकि वे एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन C, एंथोसायनिन और फिनोलिक एसिड से भरपूर होते हैं, जिसके कारण इनमें एंटी इन्फ्लामेट्री प्रभाव होता है। ये भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स आपके शरीर को गठिया के लक्षणों से निजात दिलाने में सहायक हो सकते हैं। आप विभिन्न प्रकार के बेरीज खा सकते हैं, जैसे कि स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रसभरी, रसगुल्ला, अंगूर, कीवी, आदि। आप इन्हें सीधे खा सकते हैं, इन्हें स्मूदी या शेक में मिला सकते हैं, या इन्हें डेसर्ट, सलाद, या फ्रूट चाट में शामिल कर सकते हैं। इन्हें ताजे, पके, या शुष्क रूप में खाने से आपको उनके गुणों का लाभ मिलेगा।

गठिया में व्यायाम:-

गठिया में व्यायाम करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। योग और व्यायाम गठिया के मरीजों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे संचालन क्षमता को सुधारने, मांसपेशियों को मजबूत करने, जोड़ों का लचीलापन को बढ़ाने में मदद करते हैं। ध्यान रखें कि आपके व्यायाम को आपके शारीरिक स्तर और संयम के आधार पर तैयार किया जाना चाहिए। आप शरीर को अधिक तनाव न दें और अधिक संचालन वाले योगासनों को न करें जो आपके जोड़ों को ज्यादा दबाव देते हैं। आप धीरे-धीरे शुरू करें और संयम बनाए रखें।

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व्यायाम के लिए आप योगासन, ध्यान, प्राणायाम, और लंबे समय तक की चलने जैसे व्यायाम शामिल कर सकते हैं। आप गहरी सांस लेने और निरंतर अभ्यास करने वाले व्यायाम को भी शामिल कर सकते हैं, जैसे कि स्विमिंग, साइकिलिंग, या वाकिंग। आपको हर दिन कुछ समय व्यायाम करने की कोशिश करनी चाहिए और यदि संभव हो, तो एक योगाचार्य या फिजियोथेरेपिस्ट की मार्गदर्शन में व्यायाम करना उचित होगा।

गठिया के लिए तेल:-

गठिया के रोगीयों के लिए तेल एक महत्वपूर्ण घटक हो सकता है। कुछ तेलों का उपयोग गठिया के लक्षणों को कम करने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है जैसे:

  • जैतून का तेल: जैतून का तेल गठिया रोग के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। जैतून का तेल अपने गुणों के लिए प्रसिद्ध है, यह शारीरिक दर्द को कम करने में मदद करता है और संयमित उपयोग से जोड़ों को आराम प्रदान कर सकता है।
  • सरसों का तेल: गठिया के मरीजों के लिए सरसों का तेल एक प्रमुख औषधीय तत्व हो सकता है। इसमें मौजूद ग्लूकोसिनोलेट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। सरसों का तेल शांति प्रदान करने, सूजन को कम करने और जोड़ों को आराम प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
  • लहसुन का तेल: लहसुन के तेल में प्राकृतिक एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया के मरीजों को लाभ पहुंचा सकते हैं। इसका उपयोग दर्द को कम करने, सूजन को कम करने और जोड़ों को आराम प्रदान करने में किया जा सकता है।
  • कैस्टर ऑयल: गठिया के मरीजों के लिए कैस्टर ऑयल एक विकल्प हो सकता है। कैस्टर ऑयल में मौजूद एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, यह गठिया के लक्षणों को कम करने और जोड़ों को आराम प्रदान करने में भी सहायक हो सकता है।

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यदि आप गठिया रोग के लिए तेल का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको अपने डॉ की सलाह लेनी चाहिए और उनके निर्देशों का पालन करना चाहिए। वे आपको सही तेल के प्रकार, उपयोग की विधि और मात्रा के बारे में जानकारी देंगे।

गठिया बाय का रामबाण इलाज:-

गठिया रोग के लिए कच्चे पपीते की चाय एक प्रसिद्ध घरेलू नुस्खा है। कच्चे पपीते में पेपेन एंजाइम होता है, जो शरीर में आयरन और कैल्शियम के आपूर्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह रोगाणुओं के प्रभाव को कम करने में मदद करता है और जोड़ों की स्थिति को सुधारने में सहायक होता है।

 

कच्चे पपीते की चाय बनाने के लिए, एक कच्चा पपीता ले और इसे छोटे टुकड़ों में काट लें। अब एक कटोरी में पानी उबालें और उसमें कटे हुए पपीते को डालें। इसे मध्यम आंच पर 10-15 मिनट पकाएं और फिर इसे चाय की तरह छान लें। आप इसे गुड़ या शहद के साथ पी सकते हैं। कच्चे पपीते की चाय को रोजाना पीने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है और जोड़ों की सुधार होती है। यह चाय शरीर को शुद्ध करने में मदद करती है और अवसाद और थकान को कम करने में भी सहायता प्रदान करती है। हालांकि, इसे डॉ के उचित परामर्श के साथ और सतर्कता से सेवन करें।

FAQ

Ques-1 गठिया रोग किसकी कमी से होता है?

गठिया रोग मुख्य रूप से शरीर में आयरन, कैल्शियम, विटामिन डी और विटामिन सी जैसे पोषक तत्वों की कमी होना होता है। ये पोषक तत्व जोड़ों को स्वस्थ रखने और उनकी संरचना को सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं।

Ques-2 गठिया के दो मुख्य प्रकार क्या हैं?

गठिया के मुख्य रूप से दो प्रकार है ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड।

Ques-3 किस उम्र में लोगों को गठिया होता है?

गठिया रोग किसी भी उम्र लोगों को हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ अधिक प्रभावी होता है। अधिकांश लोगों को 40 वर्ष की उम्र के बाद इस रोग की संभावना होती है। वृद्धावस्था में गठिया के विकास का खतरा और बढ़ जाता है।

Ques-4 गठिया के लिए 3 विटामिन क्या हैं?

गठिया रोग के लिए तीन मुख्य विटामिन होते हैं: विटामिन डी, विटामिन सी, और विटामिन ई। विटामिन डी गठिया के लिए आवश्यक होता है क्योंकि यह कैल्शियम को शरीर में संकलित करने में मदद करता है और हड्डियों की स्वस्थता को बनाए रखता है।

Ques-5 गठिया आमतौर पर कहां से शुरू होता है?

गठिया आमतौर पर जोड़ों से शुरू होता है। यह आमतौर पर हाथों, घुटनों, टांगों और कलाईयों में प्रभावित होता है। गठिया एक आम रोग है जो अधिकतर उम्रदराज लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन कई बार युवा भी इस समस्या से पीड़ित हो सकते हैं।

 

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