Desi Cow: भारतीय संस्कृति में गाय को दुनिया में सबसे पवित्र कहा गया है। जब पृथ्वी पर जीवन उत्पन्न भी नहीं हुआ था उससे भी पहले से गाय इस ब्रह्मांड का प्रमुख हिस्सा रही है। हमारे धर्म ग्रंथों, वेदों, पुराणों में कामधेनु गाय का उल्लेख किया गया है, जो संसार की प्रत्येक वस्तु प्रदान करने की क्षमता रखती थी। गरुड़ पुराण में भी गाय का जिक्र मिलता है। उसमें कहा गया है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा को वैतरणी नदी पार करने की आवश्यकता होती है और उसने यदि जीवित रहते हुए गौ दान किया है तो वह गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार कर जाता है। इस लेख में हम देसी गाय (Desi cow) की पहचान, दूध, दही, घी के फायदे और देसी गायों की नस्लों के बारें में जानकारी देंगे।
देसी गाय:- (Desi Cow)
भारतीय नस्ल की देसी गाय की पीठ पर कुकुन्द बना होता है जहाँ से सूर्य केतु नाड़ी गाय के शरीर में शुरू होकर उसके थनों तक जाती है देसी गाय का शरीर सुडौल और फुर्तीला होता है। गाय सूर्य की किरणों से ऊर्जा लेकर अपने दूध में उतारती है। जो हमें हर प्रकार से पौश्टिकता प्रदान कर निरोग रखने में सहायक होता है। वैज्ञानिक शोधों से यह पता चला है कि गाय ही एकमात्र ऐसी प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है। इस हिसाब से यह पर्यावरण कोई हानि नहीं पहुंचाती। गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है, उसकी पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
वेदों में गाय का महत्व:-
- ऋग्वेद: ऋग्वेद में गाय के दूध, दही, घी,गोमूत्र और गोबर – इन पाँचो को पंचगव्य कहा गया हैं। ये पौष्टिक आहार ही नहीं, अद्भुत दिव्य औषद्यी भी है। ये अमृत तुलय हैं।
- यजुर्वेद: यजुर्वेद के अनुसार संसार के सभी प्राणियों में आरंभ से लेकर अंत तक सब से अधिक मानवों की सहायक गाय ही हैं। केवल गाय ही।
- सामवेद: सामवेद में बताया गया है की गाय से प्राप्त हर पदार्थ पवित्र है। इसलिए गाय हमारे शरीर, मन और बुद्धि को भी पवित्र बनाती है। पर्यावरण के कालुष्य को शुद्ध करती हैं।
- अथर्ववेद: अथर्ववेद के अनुसार धेनु ऐशवैर्यो का सदन है अष्ट ऐशवैर्यो को गो माता में शरण मिला है।
गाय को चारा देने की महिमा:-
जो एक वर्ष तक प्रतिदिन स्वयं भोजन करने से पहले गाय को घास खिलता है, उसका वह व्रत सम्पूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है। जो गाय को पतिदिन जल और भोजन प्रदान करता है, उसे अश्व्मेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है; इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं हैं।
तीर्थ स्थानों में जाने से; ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो पुण्य प्राप्त होता है; सभी व्रत उपवासों एवं तपस्याओं में जो पुण्य है; पृथ्वी की परिकर्मा करने में जो पुण्य है; वेद वाक्यों के पठन पाठन में जो पुण्य है और समस्त यज्ञों की दीक्षा ग्रहण करने में जो पुण्य है; वे सभी पुण्य मनुष्य को केवल गायों को तृण खिलाने मात्र से मिल जाते है।
गाय को माँ क्यों कहा जाता है:-
हमारे प्राचीन ग्रंथों में कई जगह धरा पर अकाल पड़ने की बात कही गई है। प्राचीन काल में अनेक तरह के खाद्यान्न की इतनी उपलब्धता नहीं थी और न ही भोजन उतना व्यवस्थित नहीं था जितना आज है। घर में पाली जाने वाली गाय के दूध पर ही पूरा परिवार निर्भर करता था। अकाल की स्थिति में गाय का दूध प्राणों की रक्षा करता था। दूध पीकर मनुष्य जीवित रह लेता था। जिन बच्चों को मां स्तनपान नहीं करा पाती थी, उन बच्चों को भी गाय का दूध दिया जाता था, ताकि वे जीवित रह सकें। गाय का दूध आज भी नवजात बच्चों को पिलाया जाता है। इसलिए गाय को माँ का दर्जा मिल गया।
पंचगव्य क्या होता है:-
गाय से मिलने वाले दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर को मिलाकर ही पंचगव्य का निर्माण होता हैं। जो अमृत तुलय होता हैं।
देसी गाय के दूध के फायदे:- (Benefits of Desi Cow Milk)
- देसी गाय के दूध में सवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं।
- अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है जिससे दिल हमेशा सवस्थ रहता है।
- पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है।
- पाचन सम्बंधित समस्याओं को ठीक करने में सहायक होता हैं।
- शरीर की ताकत को बढ़ाता हैं।
- आँखो की रोशनी को बढ़ाता है।
- कैंसर, टीबी, हैजा जैसे जटिल रोगों को ठीक करने में मदद करता है।
- जोड़ों के दर्द में आराम पहुंचाता हैं।
- त्वचा को निखारता हैं।
देसी गाय के दही के फायदे:-(Benefits of Desi Cow Curd)
- खून की कमी को दूर करें
- भूख को बढ़ाती हैं
- पाचन तंत्र को ठीक करती है
- बवासीर को ठीक करने में मदद करती है
- वजन को कम करती है
- शरीर की गर्मी दूर करती है
- हड्डियों को मजबूत बनाती हैं
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देसी गाय के घी के फायदे:-(Benefits of Desi Cow Ghee)
- एसिडिटी और कब्ज को दूर करता हैं
- वजन को कम करता है
- घी को नाक में डालने से माइग्रेन जल्दी ठीक होता है
- नजला जुकाम को ठीक करता है
- बल बुद्धि को बढ़ाता है
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
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- कफ को दूर करता है
- कैंसर से बचाव करता है
- देशी घी के सेवन से बैड कोलेस्ट्राल कम होता है
- बवासीर रोग में फायदा करता है
देसी गाय के गोमूत्र के फायदे:-
- गोमूत्र पाचन क्रिया को सुधारता है और अपच से राहत प्रदान करता है। इसलिए गोमूत्र के सेवन से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है।
- गोमूत्र रक्त शुद्धि करता है और त्वचा को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
- गोमूत्र में विटामिन सी, विटामिन बी-12, फोस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कैल्शियम आदि होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।
- गोमूत्र मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी होता है क्योंकि यह इन्सुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- गोमूत्र कैंसर को ठीक करने की एक उपयोगी दवा माना जाता है।
- गोमूत्र शरीर के वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- गोमूत्र का उपयोग चर्म रोगों को ठीक करने में भी किया जाता है। गोमूत्र में विटामिन सी एवं एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने मदद करते है।
- गोमूत्र पीने का फायदा यह भी है कि यह एक बेहतरीन एंटी-यूरोलिथिएटिक यानी पथरी के प्रभाव को कम करने का काम कर सकता है।
देसी गाय के गोबर के फायदे:-
- गोबर में अनेक ऐसे तत्व होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं। इसलिए गोबर के इस्तेमाल से वातावरण की शुद्धता में सुधार होता है।
- गोबर एक बहुत अच्छी खाद होती है जो पौधों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसे खेतों में डालकर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।
- त्वचा पर किसी प्रकार का रोग या अन्य समस्या होने पर नियमित रूप से उस स्थान पर गाय के गोबर का लेप करने से यह जल्दी से ठीक हो सकता है।
- शरीर का कोई अंग जलने पर गोबर को जले हुए स्थान पर दो तीन बार लगाने से जलन कम हो जाती है।
- गाय के गोबर के कंडों से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं और दुर्गंध का नाश होता है।
- पेट में छोटे-छोटे कीड़े हुए हो तो, गोबर की सफेद रख 2 तोला लेकर 10 टोला पानी मिलाकर, पानी कपड़े में छान ले. तीन दिन तक सुबह-शाम यही पानी पिलायें और रतौंधी में ताजे गोमय को लेकर के आँखे आंजने से दस दिन में रोग छुटकारा हो जायेगा.
- दांत की दुर्गन्ध, जंतु और मसुडे के दर्द पर गाय के गोबर को जलावें, जब उसका धुँआ निकल जायें तब उसे पानी में डालकर बुझा ले, सुख जाने पर चूर्ण बनाकर कपड़े से छान ले, इस मंजन से प्रतिदिन दांत साफ करने से दांत के सब रोग नष्ट हो जाते है.
- गाय के गोबर से बायोगैस बनती है जिससे आप सिलेंडर में भर सकते है और इससे car भी चलाई जा सकती है।
भारत की प्रमुख देसी नस्लें:-
वैसे तो भारत में देसी गायों की लगभग 30 से ज्यादा नस्लें पाई जाती हैं। जो औसतन 10 से 15 लीटर दूध देती है। जिनमे मुख्य रूप से गिर, थारपारकर, हरियाणा, काकंरेज, साहीवाल, रेड सिंघी, राठी, हल्लीकर, नागौरी, दज्जल आदि नस्ल की गाय शामिल हैं।
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FAQ
Ques-1 देसी गाय की पहचान क्या है?
देसी गाय के सींग बड़े और कंधे पर एक बड़ा कुकुन्द होता है जो इसकी पहचान को दर्शाता है।
Ques-2 देसी गाय कितने लीटर दूध देती है?
देसी गाय आमतौर पर 10 से 15 लीटर दूध देती है।
Ques-3 देसी गाय कितने महीने तक दूध देती है?
अच्छी देसी गाय लगभग 9 से 10 महीने तक दूध दे सकती हैं।
Ques-4 कौन सी देसी गाय ज्यादा दूध देती है?
देसी गायों में गिर, साहीवाल, राठी, लाल सिंधी, थारपारकर ज्यादा दूध का उत्पादन करती हैं।
Ques-5 देसी गाय की कीमत क्या होती है?
एक अच्छी देसी गाय लगभग 40000 से 50000 तक में मिल जाती है।