Diabetes in Hindi: मधुमेह, जिसे हम आमतौर पर डायबिटीज़ के नाम से भी जानते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का लेवल में हाई हो जाता है। यह आमतौर पर इंसुलिन निर्माण की कमी के कारण होता है, जो हमारे खाने पीने के आधार पर शरीर के ऊर्जा को नियंत्रित करता है। मधुमेह के लक्षण में शामिल हो सकते हैं, भूख लगने में वृद्धि, प्यास ज्यादा लगना, वजन घटना, थकान, चक्कर आना, आँखों की खराबी, त्वचा में सूखापन, बार-बार पेशाब आना, घावों का धीमा भरना, और लंबे समय तक ठीक न होने वाले जख्म। जनसेहत के इस लेख में आज हम आपको बतायेगें की डायबिटीज किस उम्र में होता है और शुगर और डायबिटीज में क्या अंतर है।
मधुमेह के कई प्रकार हो सकते हैं जैसे 1 टाइप मधुमेह, 2 टाइप मधुमेह, गर्भावस्था में मधुमेह आदि। यह रोग के कारण और जीवनशैली में परिवर्तन करके ठीक किया जा सकता है। मधुमेह रोगी को अपने डॉ के साथ मिलकर उचित रूप से सलाह करनी चाहिए और उनकी सलाह पर दवाओं, आहार और व्यायाम को प्रभावी ढंग से अपनाना चाहिए।
डायबिटीज किस उम्र में होता है:-
डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर बड़े वयस्कों में ज्यादा देखा जाता है। टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर बचपन या युवावस्था में शुरू होता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर वयस्कों में देखा जाता है। गर्भावस्था में भी गर्भधारण करने वाली महिलाओं को गेस्टेशनल डायबिटीज हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आहार, व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली का ध्यान रखें ताकि हम अपने स्वास्थ्य को निरोगी रख सकें और डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकें। इसलिए हम कह सकते है की डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकता है, डायबिटीज के लक्षणों को ध्यान में रखकर और नियमित चिकित्सा जाँच करवाकर यह बीमारी समय पर पहचानी जा सकती है और इसका सही इलाज किया जा सकता है।
शुगर और डायबिटीज में क्या अंतर है:-
“शुगर” और “डायबिटीज” दोनों ही शब्द एक ही बीमारी को बताने के लिए उपयोग होते हैं, जहां शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज (रक्त शर्करा) का सही उपयोग नहीं होता है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन इंसुलिन की कमी या कोशिकाओं के सामरिक प्रतिरोध के कारण हो सकता है। डायबिटीज एक जीवनशैली से सम्बंधित बीमारी है और इसका इलाज उचित आहार, व्यायाम, औषधि और डॉक्टर के निर्देशों के साथ किया जाना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों को अपने रक्त शर्करा (ग्लूकोज) स्तर को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से इंसुलिन या अन्य दवाओं का सेवन करने की आवश्यकता होती है। यह बीमारी अगर कंट्रोंल नहीं की जाए, तो शरीर को अन्य कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि हृदय रोग, किडनी समस्याएं, पैरों में नसों की समस्याएं और नेत्र रोग आदि।
डायबिटीज के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
टाइप-1 डायबिटीज
टाइप-1 डायबिटीज (मधुमेह) एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की इंसुलिन उत्पादन की क्षमता पूरी तरह से कम हो जाती है। यह बीमारी आमतौर पर युवाओं और बच्चों में पाई जाती है।
टाइप-2 डायबिटीज
टाइप-2 डायबिटीज (मधुमेह) एक बीमारी है जिसमें आपके शरीर में उत्पन्न होने वाली इंसुलिन को शरीर सही ढंग से उपयोग नहीं कर पता है, जिसके कारण आपके रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह बीमारी आमतौर पर बड़े उम्र के लोगों में पाई जाती है, लेकिन आजकल यह युवाओं और बच्चों में भी देखी जा सकती है।
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मधुमेह रोग किस विटामिन की कमी से होता है:-
मधुमेह (डायबिटीज) रोग के होने का कारण केवल एक विटामिन की कमी नहीं होती है। हालांकि, विटामिन D की कमी के साथ डायबिटीज के मध्य संबंध देखा गया है। विटामिन D की कमी से इंसुलिन की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है और मधुमेह के विकास का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, विटामिन D की पर्याप्त मात्रा का सेवन करना मधुमेह के खतरे को कम करने में सहायक हो सकता है। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सूर्य प्रकाश का संपर्क एक अच्छा तरीका हो सकता है।
इसके अलावा विटामिन डी सप्लीमेंट्स और विटामिन डी युक्त आहार खाना भी मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपकी विटामिन D की कमी है या आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो आपको एक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। वह आपका पूरा विश्लेषण करके आपको सही सलाह देंगे और उचित उपचार प्रदान करेंगे।
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डायबिटीज की सबसे अच्छी दवा:-
डायबिटीज के उपचार में सबसे अच्छी दवा व्यक्ति के रोग के प्रकार, स्थिति और डॉक्टरी इतिहास पर निर्भर करेगी। डायबिटीज के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं और यह व्यक्ति को डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाती हैं। आमतौर पर, डायबिटीज के उपचार में उपयोग होने वाली कुछ प्रमुख दवाएं शामिल हैं जैसे:
मेटफॉर्मिन
मेटफोर्मिन एक दवा है जो मधुमेह के इलाज में उपयोग होती है। यह दवा एक ओरल एंटीडायबिटिक है जिसका मुख्य उपयोग टाइप-2 डायबिटीज के लिए किया जाता है। मेटफोर्मिन शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को बढ़ाकर इंसुलिन के उपयोग को सुधारती है। यह शरीर के रक्त में शुगर (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके साथ-साथ मेटफोर्मिन बढ़ते हुए शरीर के वजन को नियंत्रित करने में भी सहायता कर सकती है।
मेटफोर्मिन कुछ सामान्य दुष्प्रभावों के साथ आती है समावेशित डायरिया, उलटी, पेट दर्द और गैस। यदि आप मेटफोर्मिन लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और उनसे इसके लाभ, दुष्प्रभाव और उपयोग की सही मात्रा के बारे में पूछें। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति पर आधारित करके आपको सबसे अच्छी दवा की सिफारिश करेंगे।
सुल्फोनेलयुरीआस
इस प्रकार की दवाएं आमतौर पर मधुमेह के इलाज में उपयोग होती हैं। यह दवाएं टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के रक्त में शुगर के स्तर को कम करने में मदद करती हैं और इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाती हैं। सुल्फोनेलयुरीआस के कुछ सामान्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं हाइपोग्लिसेमिया (रक्त में शुगर का स्तर बहुत कम हो जाना) आदि।
यदि आप सुल्फोनेलयुरीआस लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो सबसे पहले अपने डॉ से सलाह लेना आवश्यक है। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति को देखते हुए सही दवा की सिफारिश करेंगे और आपको सही खुराक और उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
इंसुलिन
इंसुलिन मधुमेह रोगियों के इलाज में उपयोग होने वाली एक दवा है। यह दवाएं रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन हार्मोन की पूर्ति करती हैं जो शरीर में निर्मित होता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए इंसुलिन इंजेक्शन एक महत्वपूर्ण और आवश्यक इलाज हो सकता है।
इंसुलिन का उपयोग और खुराक डॉ द्वारा निर्धारित किया जाता है। आपको इंसुलिन इंजेक्शन की सही तकनीक का ज्ञान होना चाहिए और चिकित्सक द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। इंसुलिन उपयोग से पहले और उसके बाद रक्त शर्करा का स्तर नियमित रूप से मापना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
यदि आपको डायबिटीज की दवा के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो आपको अपने विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, जो आपकी स्थिति के अनुसार आपको सबसे अच्छी दवा की जानकारी देगें। वे आपके लक्षण, रोग की स्थिति, और आपके शरीर के अन्य कारणों को ध्यान में रखकर सही इलाज योजना तैयार करेंगे।
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FAQ
Ques-1 क्या 20 साल की उम्र में डायबिटीज हो सकती है?
हाँ, 20 साल की उम्र में डायबिटीज हो सकती है। यह गलत जीवनशैली, खान-पान की आदतों, गेनेटिक प्रवृत्ति और अन्य कारकों के प्रभाव से हो सकता है। टाइप-1 डायबिटीज को आमतौर पर युवाओं में देखा जाता है, जबकि टाइप-2 डायबिटीज हर उम्र के लोगों में हो सकती है, जिनमें युवा भी शामिल हो सकते हैं।
Ques-2 क्या शुगर को हमेशा के लिए ठीक हो सकता है?
नहीं, शुगर को हमेशा के लिए ठीक करना संभव नहीं है। मधुमेह (शुगर) एक चिकित्सीय स्थिति है जिसे नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। शुगर को नियंत्रित रखने के लिए अनुशासनपूर्वक आहार, व्यायाम और दवाओं का सेवन करना आवश्यक होता है। शुगर के संचालन में बदलाव हो सकते हैं, इसलिए अपने डॉ के मार्गदर्शन में रहकर उचित उपचार लेना आवश्यक होता है।
Ques-3 पतले लोगों को मधुमेह क्यों होता है?
पतले लोगों को मधुमेह (शुगर) होने के कई कारण हो सकते हैं। एक मुख्य कारण उच्च रक्त शर्करा स्तर हो सकता है, जो आमतौर पर बहुत अधिक शुगर या कार्बोहाइड्रेट खाने, अस्वस्थ आहारप्रणाली, कम व्यायाम और वजन कमी के कारण होता है। इसके अलावा, अन्य कारक जैसे आनुवंशिकता, उम्र, गर्भावस्था या गर्भस्थ शरीरिक संयम, स्ट्रेस, बीमारियाँ और उच्च रक्तचाप भी मधुमेह के लिए एक प्रवोधनक हो सकते हैं।
Ques-4 क्या डायबिटीज से बदबूदार पेशाब आता है?
हाँ, डायबिटीज के रोगी को कई बार बदबूदार पेशाब आता है। यह बदबू मधुमेह के लक्षणों में से एक हो सकती है और यह अधिकतर मधुमेह के असंतुलित रक्त शर्करा स्तर के कारण होती है। मधुमेह में, पेशाब में ग्लूकोज अधिक मात्रा में मौजूद होता है जिसके कारण बैक्टीरिया की वृद्धि होती है और इससे पेशाब में बदबू आती है।
Ques-5 क्या डायबिटीज से वजन घटता है?
हाँ, कई बार डायबिटीज से वजन कम हो जाता है। डायबिटीज में, शरीर ग्लूकोज को उचित रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाता है जिसके कारण शरीर अपने ऊर्जा स्रोत को सही ढंग से नहीं उपयोग कर पाता है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर अपनी ऊर्जा इंटेक्स को कम करने के लिए अन्य स्रोतों से इंटेक्स करने लगता है, जिसके कारण वजन कम हो सकता है।