आज के समय में हवा की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है और यह बड़ी चिंता का कारण है। हमारे आस-पास की हवा में धुंध की मोटी चादर दिखाई देती है और इसके असर से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे आसपास के शहरों और क्षेत्रों में वाहनों, उद्योगों, और पराली जलाने के कारण वायुमंडल में कई हानिकारक पदार्थ फैल जाते हैं। इससे हवा में धूंध और धुएं की मोटी चादर बिछ जाती है। दिवाली के समय हवा में धुंध और धुआं दिखना एक आम बात होती है, लेकिन इस बार इसका स्तर अत्यधिक बढ़ गया है।
इस समय, हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि लोग गले में खराश, खांसी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान हो रहे हैं। इसके अलावा, प्रदूषण, धुंध और धुआं के कारण श्वसन प्रणाली से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ रही हैं, जैसे कि अस्थमा, हृदय रोग, आंखों की समस्याएं और एलर्जी। प्रदूषण से बचाव करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि हम स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें। अगर आप भी प्रदूषण से बचने के उपाय खोज रहे है तो आप हमारे इस लेख को पढ़ सकते है जिसमे हमने प्रदूषण से बचने के 10 उपाय के बारें में बताया है।
प्रदूषण से बचने के 10 उपाय:- (Pradushan Se Bachne Ke Upay)
प्रदूषण से बचने के लिए घरेलू उपायों को अपनाना बहुत जरुरी है, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। यह कुछ उपाय बताये हैं जैसे:
मास्क पहने –
कोरोना महामारी के आने के साथ ही, सरकारें और स्वास्थ्य विभागों ने सभी लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी थी ताकि वायरस को फैलने रोका जा सके। पहले मास्क सिर्फ चिकित्सकीय स्थितियों में ही लोगों द्वारा पहना जाता था, लेकिन अब यह सामान्य जनता के लिए एक जरुरी बन गया है। यह जरूरी है कि हम आपको याद दिलाएं कि मास्क पहनना केवल कोरोना से बचने के लिए ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रदूषण, धुंध, धुएं और बढ़ते हुए वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचने में भी मदद कर सकता है।
एन95 मास्क जैसे हाई गुणवत्ता वाले मास्क का इस्तेमाल करने से हम अपने शरीर को प्रदूषण के कहर से बचा सकते हैं और अपने स्वास्थ्य की सही रख सकते हैं।
भाप लें –
प्रदूषण और धुएं का असर वायुमंडल में मौजूद विषैले पादार्थों के कारण फेफड़ों पर बहुत तेजी से पड़ता है। इसके कारण हमारी फेफड़ों की स्वास्थ्य स्थिति प्रदूषण के दुष्प्रभाव से प्रभावित हो सकती है और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से भाप लेना चाहिए। इसके लिए, एक बड़े बर्तन में गर्म पानी लें। अब बर्तन के ऊपर एक तौलिया रखें और अपना सिर ढक लें। इसके द्वारा, आप फेफड़ों की गंदगी और अन्य कणों को फेफड़ों से बाहर निकाल सकते हैं, जिससे आपके फेफड़े स्वस्थ रहेंगे
पेड़-पौधे लगाए –
घर के आस-पास पेड़-पौधों का होना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। पेड़-पौधों का बगीचा घर की सुंदरता को बढ़ाता है, इसके अलावा ये हमें पर्याप्त ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, पेड़-पौधों का बगीचा प्रदूषण को भी कम कर सकता है, क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और वायुमंडल को शुद्ध करते हैं।
इसलिए हमें पेड़-पौधों के साथ ही अपने आस-पास की हरियाली को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए और भी बेहतर होता है और प्रदूषण से बचाव में मदद करता है।
विटामिन C का सेवन –
प्रदूषण आज हमारे जीवन की एक बड़ी समस्या बन चुका है और इसके हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखना बहुत जरुरी है। इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आपको अपने आहार में कुछ विशेष प्रकार के चीजें शामिल करें। विटामिन C एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है और इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इसके लिए आपको विटामिन C युक्त फल जैसे कि आमला, नींबू, गुआवा और स्ट्रॉबेरी का सेवन कर सकते हैं। इनमें विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है।
अदरक और शहद –
अदरक और शहद का सेवन करने से फेफड़ों को मजबूती मिल सकती हैं। अदरक और शहद, विशेष रूप से मिलकर आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हो सकते हैं, खासकर फेफड़ों के लिए। अदरक में औषधीय गुण होते हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, यह फेफड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में भी मदद करता है।
इसके अलावा, शहद में भी प्राकृतिक रूप से एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जिससे फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। शहद का सेवन प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को कम कर सकता है।
योग और प्राणायाम
फेफड़ों को मजबूत बनाने और प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाव के लिए योग और प्राणायाम एक प्रभावी उपाय हो सकता है। प्राणायाम एक विशेष तरीके से श्वसन प्रणाली और फेफड़ों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। कपालभाती, अनुलोम विलोम और अन्य प्राणायाम फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं।
कपालभाती फेफड़ों को मजबूत करने में मदद करता है और अनुलोम विलोम प्राणायाम फेफड़ों के लिए अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है और उनकी क्षमता को बढ़ाता है। इन प्राणायाम तकनीकों को नियमित रूप से अभ्यास करने से हम अपनी श्वसन प्रणाली और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ा सकते हैं और प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
तुलसी –
तुलसी के पौधे को एक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। तुलसी के पौधों की पत्तियां श्वसन तंत्र में होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद कर सकती हैं और इसका नियमित सेवन विशेष रूप से प्रदूषण के कारण होने वाले श्वसन संबंधित रोगों से बचाव में मदद कर सकता है। तुलसी की पत्तियों का सेवन करने के लिए, आप तुलसी की कुछ पत्तियां ले सकते हैं, उन्हें कूटकर या पीसकर शहद के साथ मिलाकर रोजाना सेवन कर सकते हैं। इससे आपका श्वसन तंत्र स्वस्थ रहेगा और आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएगा।
नीम –
नीम का पेड़ हमारे आसपास की हवा को शुद्ध रखता है क्योंकि यह वातावरण में मौजूद प्रदूषकों को अवशोषित करता है. नीम के पत्तों का पानी में उबालकर चेहरे और बालों को धोने से त्वचा और बाल स्वस्थ रहते हैं। नीम की पत्तियों को खाने से भले ही इसका स्वाद कड़वा हो, लेकिन इसके सेवन से आपका खून शुद्ध होता है और खून का प्रवाह बढ़ता है. यह प्राचीन आयुर्वेदिक औषधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और आज भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है.
घी –
ज्यादातर लोग घी को सिर्फ वजन बढ़ाने के लिए फायदेमंद मानते है लेकिन ऐसा नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की देसी गाय का दो चम्मच घी रोजाना सुबह और शाम खाने से प्रदूषण से होने वाले हानिकारक प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
हल्दी –
वायु प्रदूषण से होने वाले हानिकारक प्रभाव को दूर करने के लिए आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए एक चम्मच शहद में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
इन उपायों को अपनाकर आप प्रदूषण से बचाव कर सकते है।
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